काश भगवान ने
एक से ज़्यादा जीवन दिए होते,
एक से मेरा क्या होगा?
अभी तो बोहोत कुछ करना बाकी हैं।
अब तक के साल,
कुछ खुदको और कुछ दूसरों को
समझने में निकल गए।
एक जीवन से मेरा क्या होगा?
अभी तो बोहोत कुछ करना बाकी हैं।
कितना सारा समय
गलतियां करने में
और उन्हें ठीक करने में
व्यर्थ हो गया।
एक जीवन से मेरा क्या होगा?
अभी तो बोहोत कुछ करना बाकी हैं।
ख्वाहिशों का बोझ तो हैं कंधों पर
सपने हैं ढेर सारे पलकों पर
एक जीवन से मेरा क्या होगा?
अभी तो बोहोत कुछ करना बाकी हैं।
एक ख्वाब पूरा हुआ नहीं
के दूसरा आकर खड़ा हो गया वहीं।
अंतहीन हैं मेरी मंज़िलें
एक जीवन से मेरा क्या होगा?
अभी तो बोहोत कुछ करना बाकी हैं।
पुनर जन्म किसने देखा हैं,
मुझे सब कुछ आज, अभी, यहीं करना हैं।
कुछ ऐसा जादू चला जाएं, के लोग कहे….
काश हम भी इन जैसा जीवन जी पाएं।
– शमीम मर्चेंट