मेरे करिब आकेभी वो मुजसे मिला नहीं
रीश्ता हभारा उनका युं आगे बढा नहीं
सुलजा न पायें ऐसा कोई मसअला नहीं
देखा अभीतक तुमने मेरा होसला नहीं
जीना पडा हमें तेरी वस्ले उमिद पर
कल्बे हजीं के पास कोई मुद्दआ नही
उसने करम से अपने नवाजा सदा हमें
सर ये मगर हमारा फिरभी जुका नहीं
ताबिरतो ख्वाबोंकी नजर आई है लेकिन
फल कब मिलेगा हमें इसका पता नहीं
जीनके भरोसे अबतक चलती रही हयात
मासूम निभाया जिसने कभी वायदा नहीं
~ मासूम मोडासवी