तेरे हमराह चलने का इरादा लेके आये हैं,
नये सांचों में ढलने का इरादा लेके आये हैं।
कहाँ तक गम उठायेंगे खुशीकी आरजु लेकर,
मुकद्दर को बदलने का इरादा लेके आये हें ।
उन्हें पाने की हसरत में भटकते हम रहें कबतक,
ये फुरकत से निकलने का इरादा लेके आये है ।
चलो अच्छा हुवा तुमने हमारे हाल को समाजा,
तेरी उल्फत में पलने का इरादा लेके आये हैं ।
महोबत करने वाले भी बगावत पे उतर आये,
हकिकत में संभलने का इरादा लेके आये हैं ।
मिले हैं वो हमें जबसे उमीदें बढ गइ मासूम,
नये सपनों में ढलने का इरादा लेके आये हैं ।
✍? मासूम मोडासवी