अँधियरवा में ठाढ़ गोरी का करलू॥टेक॥
जब लग तेल दिया में बाती, येहि अँजीरवा बिछाय घलतू॥1॥
मन का पलँग सँतोष बिछौना, ज्ञान क तकिया लगाय रखतू॥2॥
जरिगा तेल बुझाय गइ बाती, सुरेति में मुरति समाय रखतू॥3॥
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, जोतिया में जोतिया मिलाय रखतू॥4॥
कबीर