आसमान जब भी अपने चांद को खोना नहि चाहता,
असल मे वही एक ऊसका होना नही चाहता |
सागर जब भी अपने साहिल को खोना नहि चाहता,
असल मे वही एक ऊसका होना नही चाहता |
दिया जब भी अपनी रोशनी को खोना नहि चाहता,
असल मे वही एक ऊसका होना नही चाहता |
सुरज जब भी अपनी संध्या को खोना नहि चाहता,
असल मे वही एक ऊसका होना नही चाहता |
दिल जब भी किसी एक को खोना नही चाहता,
असल मे वही एक ऊसका होना नही चाहता |
– किंजल पटेल (किरा)