ऐहसान किया है तो भुलानेकी बात सोच
ऐहसान लिया है तो चूकानेकी बात सोच
करने हैं अभी दुर जहालत के अंधेरे
बिजली से मशअलों को जलानेकी बात सोच
हमको मिली हिदायत इल्मे जदिद की
रोशन जमिर बनके दिखानेकी बात सोच
तहजिब के पूजारी किरदार से हैं खाली
अपने जमिर को तु बचाने की बात सोच
दुनिया में कुछ हयात का रुतबा नहीं रहा
अजमें खुदी को अपनी जगाने की बात सोच
हुवे बागबां के हाथो बे दखल चमन से
लूटा है आशीयाना बसाने की बात सोच
कितनी अधुरी आजभी मासूम है जिंदगी
पीछडे हुवों को आगे बढाने की बात सोच
मासूम मोडासवी