ऐ जिन्दगी तूने सब देखा, पर मेरे जज़्बात नहीं,
यही तो बड़ी बात है कि मूज़मे कोई बात नहीं।
इस नज़र से देखो तो में कितना अमीर हो गया,
सबक इतने दे दिए जितनी मेरी औकात नहीं।
ए आंख तू क्यों इतने आंसू बहा रही है कब से,
माना कि दिल टूट चुका है, ज़ख्मी है, बर्बाद नहीं।
जब भी मन करे रूठ जाना, पर कसौटी मत करना,
तेरे बिना खुद संभल सकु ऐसे मेरे हालत नहीं।
दिपेश शाह