नहीं चाहिए मुझे आपकी कोई आलीशान जवेरात,
मेरे लिए तो आपके नाम की शोहरत ही काफ़ी है।
नहीं ज़रूरत मुझे जान लूंटा देगे जैसा प्यार,
मेरे लिए तो जीवनभर आपका साथ ही काफ़ी है।
नहीं चाहिए मुझे कोई शक-सबूत वाला दिखावा,
मेरे लिए तो आपका सच्चा विश्वास ही काफ़ी है।
नहीं ज़रूरत मुझे टूटे दिल के दरार को जुड़ने वाली,
मेरे लिए तो अंदर थी वो राज करने वाली ही काफ़ी है।
नहीं चाहिए मुझे आपके जिस्म की हर ख़ुशी,
मेरे लिए तो आपकी ख़ुशी मे मेरी ख़ुशी ही काफ़ी है।
नहीं बताना मुझे यहां में किसकी बात कहे रहा हूं,
मेरे लिए तो आप ये पढ़कर ही समझ जाओ वहीं काफ़ी है।
– पृथ्विक भावसार