ये सबको खुशियां दे कर भी दुःख में है जीता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
परिवार को कपड़े देने के लिए खुद कम कपड़े खरीदता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
सबकी इच्छा पूरी करने के लिए धूप में भी परेशानी झेलता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
बच्चों की छोटी सी मुस्कान के लिए बड़ी बड़ी चीज़ें करता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
अपने बच्चों के साथ खेलने के लिए कभी घोड़ा तो कभी बंदर भी बनता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
अपने परिवार के सुख के लिए जीवन की हर मुश्किल पार करता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
जब परिवार में सब हार मान जाए, तब उनको हौसला भी देता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
आगे जाकर बच्चों को गिरते हुए ना देखें, इसलिए कभी कभी कड़वे बोल भी बोलता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
जब उसके बच्चे राह भटक रहे हो, तब सही राह दिखता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
सचमें इन सब के बदले हमारे पास एक प्यारी सी मुस्कान ही माँगता,
कुछ ऐसे होते हैं पिता।
नीति सेजपाल “तितली“