कुछ ज़ख्म मेरे भी थे…
मगर तूने कभी उसे देखे ही नहीं..
कुछ आवाज मेरी भी थी…
मगर तूने कभी उसे सुनी ही नहीं..
कुछ सपने मेरे भी थे…
मगर तूने कभी समझे ही नहीं…
था वीराना मेरे दिल के अंदर भी..
मगर तूने उसे कभी देखा ही नहीं..
ना बता सके हम तो क्या…
तूने भी कभी उसे समझा ही नहीं..
कैसे सच बताए तुम्हे भी हम अपना…
तुम कभी उतने पास आए ही नहीं…
कुछ ज़ख्म मेरे भी थे…
मगर तूने कभी उसे देखे ही नहीं..
तूने कभी उसे देखे ही नहीं….
—हेतल जोषी
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से अब बात बढ़ चुकी है हया के मक़ाम से तस्वीर खींच...