कृष्ण है विस्तार यदि तो
सार है राधा
कृष्ण की हर बात का
आधार है राधा
राधा बिना कृष्ण नहीं
कृष्ण बिना नहीं राधा
जिस कण में राधा बसी
उस कण में बसे हैं कृष्ण सदा से
राधा राधा राधा राधा
कृष्ण कृष्ण कृष्ण (×2)
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण
राधा कृष्ण कृष्ण कृष्ण
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण
राधा कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण
कृष्ण है वंशी
तो राधा तान मतवारी
कृष्ण है सृष्टा
तो राधा सृष्टि है सारी
कृष्ण बिना राधा का
होना कहां संभव है
कृष्ण यदि परमानंद
तो राधा उत्सव है सदा से
कृष्ण के हर रोम में है
राधिका प्यारी
राधा के तन मन में बस के
कृष्ण बनवारी
राधा के अधरों पर
कृष्ण का है नाम सदा
एक दूजे में दोनों
पाते हैं विश्राम सदा युगों से
राधा राधा राधा राधा
कृष्ण कृष्ण कृष्ण (×2)
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण
राधा कृष्ण कृष्ण कृष्ण
राधाकृष्ण, राधाकृष्ण
राधा कृष्ण कृष्ण कृष्ण कृष्ण
मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए
घुटन सी होने लगी उस के पास जाते हुए मैं ख़ुद से रूठ गया हूँ उसे मनाते हुए ये ज़ख़्म...