कोई तारा था जो
आज वो सितारा बन गया
रहता था जो धरती पे
वो आसमान पे
आज वो छा गया
कुछ अधूरे सपने थे
कुछ अधूरे ख्वाबो थे
साथ ही वो तो अपने
लेके चला गया
कोई तारा था जो
जमीन पे रहता था
आज वो आसमान में
बस गया
ना कोई उम्मीदें रही
ना कोई साथ भी चला
वो तो अकेला ही आज चल दिया
अपनो का साथ छोड़कर
न जाने कहाँ वोतो
अकेला ही चल दिया
यादो के सहारे सबको छोड़कर
बस सबको तन्हा छोड़कर
वो तो अकेला ही कहा चला गया
सबको अपना बनाकर
अकेला ही वो तो कहा चला गया
कोई ऐसा भी क्यू करता है
अपना बना के यु क्यू
कोई छोड़ जाता है
याद नहीं आती होंगी
क्या उनको हमारी
हम तो जी के भी मर जाते है
उनकी याद में न जाने वो
हमें छोड़कर कहा चला गया
नए जहाँ में क्यू जाके वो तो बस गया
कोई तारा था जो आज
वो सितारा बन गया
रहता था जो धरती पे
वो तो आज आसमान पे छा गया
– हेतल जोशी