भारत की संस्कृति का संगम।
तीन रंग का अपना परचम ।
केशरिया कश्मीर की घाटी,
की सोंधी सी रंगत लेकर ।
वीर बहादुर पथ पर बढ़ते
बलिदानो की चाहत लेकर ।
रोज परखता दुश्मन का दम ।
तीन रंग का अपना परचम ।।
गंगा की पावनता के संग ।
हिमगिर की हिमवान धवलता।
धवल धवल यह बिजली दौड़ी
हर सैनिक में बनी चपलता।
दुनिया इसका करती अनुगम ।
तीन रंग का अपना परचम।।
खेतों की हरियाली लेकर
हर मन को खुशहाल किया है ।
खून पसीना बहा श्रमिक ने
देश को मालामाल किया है ।।
खुशहाली यह हो ना कम ।
कहता हमसे यह परचम ।
धवल रंग में चक्र सुदर्शन ।
गति का मान बताता है ।
हर पल चलता कभी न रुकता
आगे बढ़ता जाता है ।।
गति जीवन की जाये न थम
कहता हमसे यह परचम ।
तीन रंग में मेल न हो तो ।
एक रहेगा देश कहाँ ।।
कदम मिला कर चलना ही है
परचम का सन्देश यहाँ
भिन्न हों लेकिन एक रहें हम ।
कहता हमसे यह परचम ।।