ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
ये इंसाँ के दुश्मन समाजों की दुनिया
ये दौलत के भूके रिवाजों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
हर इक जिस्म घायल हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम – ए – बद – हवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
यहाँ इक खिलौना है इंसाँ की हस्ती
ये बस्ती है मुर्दा – परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
– साहिर लुधियानवी