जिंदगी…..
उम्र के दायरों में गुजर जाती है जिंदगी,
यादों में सिमट कर रह जाती है जिंदगी,
कुछ पाया है तो कुछ खोया है हमने यहां,
रेत जैसे हाथों से फिसल जाती है जिंदगी..
पलभर में जाने कैसे बदल जाती है जिंदगी,
कभी धुप है तो कभी छांव की तरह है जिंदगी,
मिलेंगे ग़म कभी तो कभी खुशियां भी मिलेंगी,
बस इसी सफर का ही तो नाम है जिंदगी…
✍️ कानजी गढवी