पंख जख्मी हुए तो क्या हुआ ??
हम उड़ना तो नहीं भूले,
बड़े हो गए तो क्या हुआ ??
बडो को सामने झुकना तो नही भूले,
मंज़िल दूर है तो क्या हुआ ??
हम चलना तो नहीं भूले,
रिश्ते पुराने हुए तो क्या हुआ ??
हम निभाना तो नहीं भूले,
यार रोज़ न मिले तो क्या हुआ??
वो याराना तो नहीं भूले,
सूरज अस्त हुआ तो क्या हुआ ??
सुबह की प्रतीक्षा करना नहीं भूले,
लेकिन
सब से सुखी हो तुम तो क्या हुआ ??
भगवान से मांगना तो नही भूले..!!
– देवम संघवी “तत्त्वम्”
भूले,
मंज़िल दूर है तो क्या हुआ,हम चलना तो नहीं भूले,
रिश्ते पुराने हुए तो क्या हुआ,हम निभाना तो नहीं भूले,
यार रोज़ न मिले तो क्या हुआ, वो याराना तो नहीं भूले,
सूरज अस्त हुआ तो क्या हुआ,सुबह की प्रतीक्षा करना नहीं भूले,
लेकिन
सब से सुखी हो तुम तो क्या हुआ,भगवान से मांगना तो नही भूले..!!
– देवम संघवी “तत्त्वम्”