मिलते हैं आप हम बिछडने के वास्ते,
महेका हे फुल डाली से झडने के वास्ते।
शबनम ने रोज सींचा खुन अपना पीलाकर,
खीलना है बाग कोतो ऊजड ने के वास्ते।
वो था हवाका जोंका आया न हाथ में,
दस्ते दराज उठाया था पकड ने के वास्ते।
ईतना पीलाना उसको कुछ होश मे रहे,
कुछ होश है जरुरी अकड ने के वास्ते।
जागो निंद से अबतो मासूम सहर हुई ,
चलता हे वकत दिन को जकड ने के वास्ते।
मासूम मोडासवी