लाऊं में वो प्यार कहा से..
जो मेरे पापा मुझसे करते थे…
ढूंढ रही है आँखे मेरी….
आज भी उन प्यार को…
जो मेरे पापा मुझसे किया करते थे…
थी माँ की ममता जिनकी आँखों में…
वो आँखे अब में कहा से लाऊ…
छलकता था प्यार का झरना…
अब वो में प्यार का झरना कहा से लाऊं…
शिखलाती थी बाते दुनियादारी की…
वो बाते में अब कहा से लाऊ….
जो नजर थी बाज जैसी तेज…
वो नजर अब में कहा से लाऊ…
छाया की तरह चलता था जो पीछे मेरे….
अब वो छाया कहा से लाऊ….
दूर चले गए है इतने मेरे….
तुम्हे अब पास कैसे में बुलाऊ…
छूना पाए मेरे हाथ तुम्हे अब…
बुलाना सके आवाज मेरी तुम्हे अब….
बस बसे हो अहसासों मेरे पापा.. तुम्ही हो मेरे पापा… ओ मेरे पापा..ओ मेरे पापा…
~ हेतल जोषी