किस्सा एक पुराना याद आ गया।
खूबसूरत फ़साना याद आ गया।
देखकर ये गुलाबी मंजर शामका,
वो तेरा मुस्कुराना याद आ गया।
आज फिर मुहोब्बतकी बात पर,
कोई रुलानेवाला याद आ गया।
कतराभर मिली तेरी झलक और,
पूरा एक ज़माना याद आ गया।
आज फिर इन आंसुओ को तेरे,
कंधेका सिरहाना याद आ गया।
याद नही है जो होना चाहिए था,
जो था भूल जाना, याद आ गया।
– हार्दिक मकवाणा (हार्द)