जो तुमने बना रक्खी है तस्वीर अलग है…!!!
इस देश की मिट्टी की तो तासीर अलग है…!!!
तलवार से ये रिश्ता नहीं काट सकोगे…!!!
हम दोनों को बांधे हुए ज़ंजीर अलग है…!!!
आपस की मुहब्बत से वतन अपना बना है…!!!
दुनिया से तो इस मुल्क की तामीर अलग है…!!!
कशमीर मेरे जिस्म का इक अंग है प्यारे…!!!
ये किसने कहा तुमसे कि कश्मीर अलग है…!!!
ग़ालिब की बुलंदी तो ‘वसीम ‘ अपनी जगह है…!!!
पर शे’रों में शाइस्तगी-ए-‘मीर’ अलग है…!!!
– वसीम मलिक