वो आज नयारंग दीखाने में लगे हैं |
हम हैं की नजर उनसे बचाने में लगे हैं |
हमने तो कइ बार सुनादी है दिल की बात |
वो हैं की उसुल अपने जताने में लगे हैं |
छाने लगा अब हमपे तेरे हुस्नका जादु |
पर वोतो नजर अपनी जुकाने में लगे हैं |
पहले तो महोबत का जगाते रहे अरमां |
अब रस्मे जमाने को निभाने में लगे हैं |
लाई है हमें खींचके महेफिल में जिनकी याद |
नग्मों से वो अपने बज्म सजाने मे लगे हैं |
सजधज के दिखाते रहे मासूम से वो जलवे |
मिलते ही नजर खुदको छपाने में लगे हैं |
– मासूम मोडासवी