लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम
और जो दिल में आए सो कहियो
“यूँ ही माहौल की गिरानी है
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
कितने बोझिल हैं शाम के साए”
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
नाम उनका न दरमियाँ आए
नाम उनका न दरमियाँ आए
उनकी बाबत ख़मोश ही रहियो
“कितने बोझिल हैं शाम के साए
दिन ख़िज़ाँ के ज़रा उदास-से हैं
यूँ ही माहौल की गिरानी है”
और जो दिल में आए सो कहियो
लोग पूछेंगे क्यों उदास हो तुम ?
तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए
कब तक बोझ संभाला जाए द्वंद्व कहां तक पाला जाए दूध छीन बच्चों के मुख से क्यों नागों को पाला...