शब्दों से खेल मत
शब्द बड़ी जाल है
आ गया अंदर तो
बड़ी अगन जाल है
शब्दों के खेल में
हार गए ज्ञानी भी
सयाने मौनी बने
हो गए जानी भी
शब्दों की बाते है
अर्थ अंजानी भी
अनजाने लोगो में
कह लावे ज्ञानी भी
शब्द चुराना यूँ
मौन के खेल में
मुस्कुराये वोह जैसे
अनजाने भेस में
शब्द पराये भी
अपना बना लेना
जहाँ भी जाये तू
मौन अपना लेना
अशोककुमार शाह ” परागरज