सुनो
तुम कुछ बोल दिया करो
कुछ बता दिया करो
कुछ बयां किया करो
हमसे प्यार हमारा ख्याल और देखभाल करते हो बहुत ज्यादा
पर कुछ ना कहने की गलती में खलनायक बन जाते हो ताज़ा ताज़ा
इसीलिए कह रही हूं
तुम कुछ बोल दिया करो
मन को ज़रा खोल दिया करो
– हिरल जगड “हीर”