ख़ुद में रह कर ,
वक़्त बिताओ तो अच्छा है,
ख़ुद का परिचय,
ख़ुद से कराओ तो अच्छा है..!!
इस दुनिया की भीड़ में,
चलने से तो बेहतर,
ख़ुद के साथ में,
घूमने जाओ तो अच्छा है..!!
अपने घर के रौशन,
दीपक देख लिए अब,
ख़ुद के अन्दर,
दीप जलाओ तो अच्छा है..!!
तेरी-मेरी इसकी-उसकी,
छोड़ो भी अब,
ख़ुद से ख़ुद की ,
शक्ल मिलाओ तो अच्छा है..!!
जिस्म को महकाने में,
सारी उम्र काट ली,
रूह को अब अपनी,
महकाओ तो अच्छा है..!!
दुनियाभर में घूम,
लिए हो जी भरके अब,
वापस ख़ुद में,
लौट के आओ तो अच्छा है..!
~सुरेन्द्र चतुर्वेदी