तू मिल जाए तो सब मिल जाए,
यूंँ समझ लो कि रब मिल जाए।
तू तू ना रहे और मैं मैं ना रहूँ,
एक-दूजे में ही हम मिल जाए।
सुख दुःख दोनो की तैयारी रखना,
क्या पता कौन कब मिल जाए।
बेवजह ही जहाँ पर जा सकूँ मैं,
जहान में ऐसा एक घर मिल जाए।
ना भूलना वापस आने का रास्ता,
जो कभी उड़ने को पर मिल जाए।
एक पल की भी देरी न होगी अक्ष,
उनके साथ का एक पल मिल जाए।
अक्षय धामेचा