मैं नजर से पी रहा हूं ये शमा बदल ना जाए,
ना झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढ़ल ना जाए,
मेरे अश्क भी हैं इसमें ये शराब उबल ना जाए,
मेरा जाम छूने वाले तेरा हाथ जल ना जाए,
मेरी जिंदगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रखना,
तेरे आने की खुशी में मेरा दम निकल ना जाए,
मुझे फूंकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना,
ये किसी की है अमानत कहीं साथ जल ना जाए,
मैं बना तो लूं नशेमन किसी शाहे गुलिस्तां पे,
कहीं साथ आशियां के ये चमन भी जल ना जाए।
– अन्वर साहब