अटल !
गीत हो या गान हो, थे वाजपेयी अटल !
देशका सम्मान हो, थे वाजपेयी अटल !
काल के कपाल पे, लिखते थे वे कलाम,
भारतीय सपूत को ,हमारे सो सो सलाम।
प्रीत हो या मान हो, थे वाजपेयी अटल !
देशका सम्मान हो, थे वाजपेयी अटल !
मातृभूमि के लिए ,क्या कुछ नहीं किया,
भीष्म की तरह उन्होंने वेदना में जिया।
कर्म हो या ज्ञान हो ,थे वाजपेयी अटल !
देशका सम्मान हो, थे वाजपेयी अटल !
लोकनेता-राजनेता- राजधर्म के थे वे धनी,
थे सत्यवादी -झूठ से कभी नहीं बनी।
शास्त्र हो या राष्ट्र हो,थे वाजपेयी अटल !
देशका सम्मान हो, थे वाजपेयी अटल !
-कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त ‘