सन्नाटा छाया गगन में ,धरती फूट -फूट कर रोई ,
अटलजी अलविदा,आपकी आत्मा चिर निंद्रा में सोई !
भारतमाता अपने सपूत की अर्थी , फूलों से सजाये ,
तिरंगा आधी काठी पर आकर, दुःख को गुनगुनाये।
दिशाएँ धुँधलीं -पवन उदास -मृत्यु कर गई बिछोई ,
अटलजी अलविदा ,आपकी आत्मा चिर निद्रा में सोई।
लाल किला -संसद भवन ,दिल्ही का राजपथ सूना,
घायल मुंबई, कोलकत्ता, चेन्नई, मेंगलूर और पूना।
आवाज़ का जादू लहरा शकेगा क्या अब कोई ?
अटलजी अलविदा ,आपकी आत्मा चिर निद्रा में सोई।
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-कृष्णकांत भाटिया ‘कान्त ‘