मॅन मोहना
मॅन मोहनाअ
कान्हा सूनोना
तुम बिन पौन कैसे चाइना
तरसू तुम्ही को दिन रैन
छोड़के अपने काशी मथुरा
छोड़के अपने काशी मथुरा
आके बसाओ मोरे नैन
तुम बिन पौन कैसे चैन
कानहाअ
तरसू तुम्हिको दिन रैन
एक पल उजिराया आए
एक पल अंधियारा छाए
मॅन क्यूँ ना घबराए
कैसे ना घबराए
मॅन जो कोई धारा हा
अपनी राहों में पाए
कौन दिशा जाए
तुम बिन कौन समझाए
तुम बिन कौन समझाए
रास रचियाँ बृंदावँ के गोकुल के बसी
राधा तुम्हरी दासी
दर्शन को है प्यासी
शाम शलोने नंद लाला कृष्णा बाँवरी
टुंरी छाब है न्यारी
में तो हूँ टन मान हरी
में तो हूँ टन मान हरी
मॅन मोहनाआ मॅन मोहना
मॅन मोहनाआ मॅन मोहना
कान्हा सूनोना
तुम बिन पौन कैसे चैन
तरसू तुम्हिको दिन रैन
जीवन एक नादिया है लहरों लहरों बहती जाए
इसमें मॅन की नैया डूबे कभी तार जाए
तुम ना खेवैीया हो तो कोई तट कैसे पाए
मजधहारे रहलाए
तो टुंरी सरण आए
हन टुंरी सरण आए
में हूँ तुम्हारी है तुम्हारा यह मेरे जीवन
तुमको ही देखों में
देखूं कोई दर्पण
बंसी बन जौंगी इन हूटन की हो जंगूई
इन सपनो से जलताल
है मेरा मान आँगन
हैं मेरा,
मॅन मोहना
मॅन मोहनाअ
कान्हा सूनोना
तुम बिन पौन कैसे चाइना
तरसू तुम्ही को दिन रैन