होता ख्याल बुरा तो कुछ बुरा करू,
तू हैं ना तेरे एहसास कि छुआ करू।
उदासी को खामोशी से मिला करू,
और तो मैं क्या सिकवा गिला करू?
ऐसी तकदीर भी नहीं कि भुला करू,
तेरी तस्वीर भी नहीं कि पूजा करू।
ना तेरी रोशनी पड़ती ना ही अंधेरा,
फिर भी चाहती हो कि खिला करू!
इक दफा नहीं सौ दफा हाथ जोड़ लू,
मिले जो ईश्वर मुझ से तो दुआ करू।
अक्ष तेरे सजदे में ही ज़िन्दगी हैं मेरी,
मेरी सारी ही खुशियों को फना करू।
अक्षय धामेचा