मेरे मरने की ख़बर है उसको
अपनी रुसवाई का डर है उसको
अब वह पहला-सा नज़र आता नहीं
ऐसा लगता है नज़र है उसको
मैं किसी से भी मिलूँ, कुछ भी करूं
मेरी नीयत की ख़बर है उसको
भूल जाना उसे आसान नहीं
याद रखना भी हुनर है उसको
रोज़ मरने की दुआ माँगता है
जाने किस बात का डर है उसको
मंज़िलें साथ लिये फिरता है
कितना दुश्वार सफ़र है उसको
~ राहत इन्दौरी