जिंदगी
कितने सारे हाला कि, गोया कि, किन्तु, परन्तु, लेकिन है
और पास मेरे बाकी बची जिंदगी का आज पहला दिन है|
कितना पढ़ना, कितना लिखना, कितना सीखना है अब भी
एक बूंद भी तो नहीं हूँ मैं !! देखू ज्ञान का सागर जब भी |
बचे हुए इन चंद लम्हों में उसे करना मुझे भी मुमकिन है|
पास मेरे बाकि बची जिंदगी का आज पहला दिन है|
गिरीश जोशी