वो अपने ही होते है
जो जरुरते भी समझते है
और
जरूरत पड़ने पर समझाते भी है
वो अपने ही होते है
जो सुखमें साथ हो न हो
लेकिन
दुखमें हरदम पास खड़े नज़र आते है
वो अपने ही होते है
जो हमारे चहेरे पे मुस्कान देखते है
और
पूछ लेते है बताओ क्या तकलीफ है
वो अपने ही होते है
जो खुद सिमटकर रह जाते है
और
खुद को हम पे खर्च कर जाते है
वो अपने ही होते है
जो बिन बुलाए ख्वाबोमें चले आते है
और
बेरंग जीवनमें रंगो के मेघधनुष रच जाते है
वो अपने ही होते है
जिनके ख्यालसे ही चहेरा खिल जाता है
और
ज़िंदगी को एक नया श्वास मिल जाता है
वो अपने ही होते है
जो किसिके सपने सच करते है
और
किसिके लिए सपने बनकर रह जाते है
दिपेश शाह