आज दिल की गलियों में सुकून की नदियां सूख गई है,
आज पत्तो की नमी रुक गई है।
आज कुछ बाधाए मन में ठहर चुकी है,
आज राहों पर मै अकेली ही रुक गई है।
आज सिर्फ कमियां ही देख रही ये नजरे,
आज मेरी शाम भी कुछ नम गई है।
आज उन आंखो में चमक की कमी है,
आज फिर से नजर आ रही तेरी कमी है।
आज निराशा का सामना नहीं हो रहा,
आज दिल खाली है और उस में भरने को कुछ भी नहीं है।