इतवार आते है, इतवार जाते है,
इस भागदौड़ में हम तन्हा रह जाते है |
कैसी सरगोशी उल्फत-ए-ज़िंदगी,
हफ़्ते गुज़र जाते है दिन रह जाते है |
सौए रहते है रोज़ सिरहाने ख़्वाब सारे,
हम अक्सर सुबह जल्दी उठ जाते है |
कैसे कह दे बेबसी का सारा आलम,
लोग आजकल मोहब्ब्त भूल जाते है |
सांसें छूट जाएगी तमन्ना पूरी होते होते,
लोग अक्सर जीने से पहले मर जाते है |