बस यूं ही
कल रात बस यूं ही तुझे याद किया,
ना कोई शिकायत, पर यूं ही तेरा नाम लिया ।
कल रात बस…..
बैठी थी मैं छत पर राह तकते हुए तेरी,
तूने शायद कहीं दूर से ही मेरा नाम लिया ।
कल रात बस…..
कही दूर है तू मुझ से मिलो सजाके सेज मेरे मन में
बेझिझक मैने तुझे प्यार किया ।
कल रात बस …..
हवाओं का रूख बदल सा गया दीदार से तेरे
बे मौसम बारिश का मैने भी कुछ लुफ्त लिया ।
कल रात बस …..
तारो की रोशनी और चांदनी की चमक ने मुझे घेर लिया
कल रात बस यूं ही तुझे याद किया ।
कल रात बस यूं ही तुझे याद किया ।