आज़ाद भारत का गणतंत्र दिवस, हमारी शान,
आज हम याद करेंगे शहीदों का बलिदान।
आज तिरंगा फिर से लहराएगा,
सलामी के लिए फिर हाथ उठेगा।
आओ विचारों के घोड़े दौड़ाएं,
मातृभूमि का ऋण लौटाएं।
संविधान को न रहने दे केवल क़िताबों में,
उसे मूल्यवान बनाएं अपने समाज में।
सब को न्याय, समानता और स्वतंत्रता मिली है ?
या फिर ये बातें पुस्तको में दबी पड़ी है?
शर्मनाक है हमारे देश की स्थिति,
हर कोई ज़िमेदार है इसके प्रति।
वंदे मातरम के साथ एक ओर आवाज़ उठाना,
कुछ करो, आगे बढ़ो, थोड़ी हिम्मत जुटाना,
दूर नहीं, अपने आसपास इंसाफ ले आना
सिपाही बन, अँधियारों को मिटाना।
जब हर लड़की खुली हवा में सुरक्षित साँस लेगी,
जब गरीबों में भी शिक्षा की लहर दौड़ेगी।
जब रोज़गार हर युवा को हक़ से मिलेगा,
तब जा कर अंबेडकर साहेब का सपना पूरा होगा।
शमीम मर्चन्ट