जाने अनजाने जाने कैसे ख्वाब सज़ा बैठे..
जिसे मोहब्बत का मतलब भी नहीं मालूम था..
उसी से दिल लगा बैठे…
रईस थे हम की सुकून था, चैन था पास हमारे…
धीरे-धीरे हम सब कुछ अपना गवा बैठे..
बहते रहें अश्क़ आँखोँ से दिनों रात में…
कत्ल कर के अपने ही ख़्वाबों को..
टूटती उम्मीदों के निचे दबा बैठे…
जिसे मोहब्बत का मतलब भी नहीं मालूम था..
कमबख्त उसी से दिल लगा बैठे…!!
– Manas Dudhani