सूरत की दर्दनाक-शर्मनाक घटना को समर्पित
देखना फिर केंडल जलाए जाएंगे
मौत पर फिर आंसू बहाए जाएंगे
कहीं लाशों की राजनीति शुरू होगी
कहीं सरकारी सिस्टम खरीदे जाएंगे
नेता घडियाली आंसू लेकर आएगा
लाचार मां-बाप को सरकारी सहाय दिलवाएगा
कुछ एक दिन, एक हफ्ता, एक महिना शोक मनाएंगे
फिर सब कुछ भुलाकर अपने काम में खो जाएंगे,
अपनी नाकामी छुपाने, अधिकारी डंडा दिखाएंगे,
एकाद को पकडकर जेल ले जाएंगे
जैसै ही बड़ी रकम मिल जाएंगी
वह भी खामोश होकर तमाशायी बन जाएंगे
फिर सब कुछ पहेले सा हो जाएगा
सभी लोगों का जमीर फिर मर जाएगा।
~ मन कुमार