मुझे इस नीले आसमान के नीचे से कोई ले जाए,
उलझनो को मेरी कोई ओर सरकार मिल जाए।
मैने खुद को इन रंगो में पिघलते देखा है,
बिना कोई मतलब के क्षितिज तक चलते देखा है।
ये आसमान तो जूठा है ,किया उसने धोखा है ,
ये नीला रंग उसने मेरे दरिया से पाया है…
इसलिए ए आसमान अब समझाने मत आ जाना,
मुझे इस धरती से अब कई दूर है जाना।
तेरी बेरंग होने की कश्मकश समजती हूं मै,
तुझे तोहफे में मिला है ये रंग समजकर रख ले।