पुरे मानव जाती को शर्मसार कर गईं वो
भूख से शायद बेहाल थी वो
जो भी मिला खाना खा लिया उसने
थी अनजान उस बम से वो
फटा बम जब मुँह मे उसके
पीड़ा से वह भी तिलमिला गईं जब
पानी के पास आकर खड़ी रह गई तब
मुँह मे तो शायद ठंडक मिल भी गई
मगर पेट की आग ना ठंडा कर सकी वो
खुद तो भूखी रह भी लेती
मगर शायद उनका बच्चा भूखा न रह पाएगा
यही सोचकर तालाब के बीच ख़डी रह गई वो
मिल गई मुक्ति इस जहां से उसे मगर
पुरे मानव जाती को शर्मशार कर गईं वो
पुरे मानव जाती को शर्मशार कर गईं वो
हेतल .जोशी