हंसता हुवा चहेरा तेरा खीलते गुलाब सा
हटता नहीं आखों से ये मंजर शबाब सा
अब कैसे निगाहों को बचायेंगे कहो हुजूर
छाया है नशा बनके जो सरपे शराब सा
युं तो जहान में हैं कई चहेरे हसीन तर
मिलता नहीं है हमको रुत्बा जनाब सा
अब क्या बताएं कैसे तनहा कटे हयात
रोके है आगे बढने से हमें जल्वा ये ख्वाब सा
मासूम हो गया बडा तकदीर का करम
जिसके बगेर अब लगे जीना अजाब सा