मेरा आह भरना उसी के लिए है
ये बनना-संवरना उसी के लिए है
ये पतझड़-बहारें तो बस नाम ही है
ये खिलना-बिखरना उसी के लिए है
उसे याद करना मेरी बंदगी है
ख़ुदा से मुकरना उसी के लिए है
लबों पे सजाये कई आशीकोंं ने
ये नग़मे वगरना उसी के लिए है
फलक में है यूंतो हमारा ठिकाना
ज़मींपे उतरना उसी के लिए है
-भार्गव ठाकर