तुम बुरा मत लगाना मेरी बात का,
किया मेने ईजहार अपने जजबात का।
कहो किस लिये हमसे नाराज हो तुम,
क्या मतलब निकाला है मेरी बात का।
जो कहना है खुलकर करो तुम गुफतगु,
हो अंदाजा मुजे भी तेरे खयालात का।
काम लेना हे सबरो -तहम्मुल से हमें,
हल तो होना है ईन सारे सवालात का।
ईतनी बदली हुई है ये तेरी क्युं रविश,
हाल अबतो समजले मेरे हालात का।
रुक गया कारवां इसका गम क्या करें,
कुछ नतिजा मिलेगा तफक्कुरात का।
उंची है परवाज कुछ तो मासूम मेरी,
है जुदा रंग मेरे ये तफक्कुरात का।
~ मासूम मोडासवी