माँ – कुमार विश्वास
माँ पालती है पेड़ एक लाड़ से प्यार से दुलार से। माँ सुलाती है लोरी गा पिलाती है दूध लुटाती ...
माँ पालती है पेड़ एक लाड़ से प्यार से दुलार से। माँ सुलाती है लोरी गा पिलाती है दूध लुटाती ...
उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा, मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा। मुख-बाल-रवि-सम लाल ...
तेरी मर्जी नहीं मानता हूँ, बिना सोचे नामर्जी का इशारा सह नहीं सकता| इतनी उम्र कहाँ मेरी, रोते-बिलखते सृष्टि छोड़ ...
तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा करके एक चिन्गारी नज़र आई थी ...
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है...!!! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है...!!! मैं तुझसे दूर ...
तुम जन जन के बापू थे ! तुम ने अपनी कर्म-ज्योति से, जन्मभूमि उद्वीपत की, ममता के प्रिय भाव जगाकर, ...
पहाड़ों के कदों की खाइयाँ हैं पहाड़ों के कदों की खाइयाँ हैं बुलन्दी पर बहुत निचाइयाँ हैं है ऐसी तेज़ ...
ढलती शाम को ढलती शाम को आँगन में तुम्हे सोचते हुए गर्म चाय का कप लिए हुए बैठी थी। कप ...
उठो द्रौपदी उठो द्रौपदी वस्त्र संम्भालो अब गोविन्द न आयेंगे। कब तक आस लगाओगी तुम बिके.. हुए अखबारों से। कैसी ...
માન્યતા જૂદી તમારી, મારી શ્રદ્ધા છે જૂદી બેઉને બંને મુબારક, શું જરુર વિખવાદની ? તમને જે લાગે તે હોવાનું જ...
હવે તો પાછો આવી જાને કાન્હા વાદો તારો નિભાવી જાને કાન્હા તે કીધું તું કે જન્મીશ હું યુગે યુગે સજ્જનો...
આજ મને મોરપીંછનાં શુકન થયાં, સખી…. ચપટી નીંદર વીણવા અમે ટેવનાં માર્યાઁ બોરડી કને ગયાં, સખી આજ મને મોરપીંછનાં શુકન...
દધીચી થકી જ વ્રજ થાય છે જે કરે છે તેની જ ફરજ થાય છે આદરનો મતલબ ગરજ થાય છે પ્રાણ...
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