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Tag: नीता कंसारा

सावन आया

बरसात

कोई पुछे बदलते मौसम के बारे में तो इतना कहना, बाहर फागुन की धूप और मेरी आंखें "बरसात" बता रही ...

मेरी मोहब्बत

मेरी मोहब्बत

मिले थे हम जिस रात, वो सर्द मौसम, और वो मायूस हम इतने बरस उस रात की जिल्द चढ़ी रहती ...

रो जाती हूं मैं

रो जाती हूं मैं

अक्सर तुम्हें खोने के ख़्याल से इतना डर जाती हूं मैं, लिपट कर तुम्हारी यादों से गहरी नींद सो जाती ...

सर्दियों की रात

सर्दियों की रात

दरअसल सर्दियों की रात को लंबी चलना था, ख़्वाब मुकम्मल होने के वास्ते, पर कम्बख़त इस बार भी, हिज़्र की ...

પ્રેમને ભૂલવું તો છે પણ ભુલાતું નથી…

विरह की पीड़ा

सुनो प्रेम !! विरह की पीड़ा मनुष्य को पाषाण बना देती है, और प्रेम हमेंशा चेतना मांगता है, और मेरा ...

મારો પડછાયો

सुनो प्रेम !!

सुनो प्रेम!! पतिले में उपर की सतह में जमी हुई तुम्हारी उपर की कठोर सतह हटाते ही एकदम सफ़ेद, निश्च्छल, ...

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